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UPSC एक परीक्षा नहीं, खेल है | समझे कैसे ? || UPSC IS NOT JUST AN EXAM, IT'S A GAME. LEARN HOW?

भारत देश के हर विद्यार्थी ने अपनी जिन्दगी में एक ना एक बार UPSC पास करने का और कलेक्टर बनने का सपना जरूर देखा होगा | हर साल लाखो लोग इस परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं , लाखो लोग इसके लिए परीक्षा में बैठते है | लेकिन लाखों लोगो में से कुछ सैकड़ो लोगो को अपना सपना पूरा करने का सौभाग्य प्राप्त हो पाता है |



 आपको जानकर हैरानी होगी इनमे सफल होने वाले लोगो में ज्यादातर लोग पढाई में औसत रहे हैं | और ये जानकर अधिक हैरानी होगी की असफल होने वाले लोगो में ज्यादातर लोग शुरू से ही पढाई में अव्वल रहे हैं , लेकिन क्या कारण है कि एक औसत विद्यार्थी इसमे सफल हो जाता है, जबकि एक बचपन से ही होनहार विद्यार्थी असफल हो जाता है | आइये समझते है , इसके पीछे के कारण को |


 आइये इसे एक उदाहरण से समझते हैं, आप सभी को क्रिकेट खेलना और देखना तो जरूर पसंद होगा | सही कहा ना ? अगर पसंद भी नहीं है तो आपने कभी न कभी तो देखा ही होगा और आप बैट्समैन की पारी देखकर रोमांचित जरूर हुए होंगे | और क्रिकेट के इतिहास को उठाकर देखे तो बहुत पुराने और धुरंधर खिलाडियों को कुछ नए खिलाडियों ने बहुत ही कम समय में पछाड़ दिया और बहुत ही कम समय में नए कीर्तिमान बना दिए | आखिर इतने कम समय में इतना हूनर और ऊंचाई कैसे प्राप्त कर लेते है जो पुराने खिलाडी भी नहीं कर पाए ?

  UPSC परीक्षा भी क्रिकेट के खेल की तरह ही है | चलिए जानते है , कैसे ?

जैसा की आप सभी जानते ही है , UPSC पास करने के बाद आपको एक अधिकारी के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है | जिसमे आपको हजारो लाखो लोगो की जिन्दगी के स्तर को उठाने की जिम्मेदारी दी जाती है | लेकिन याद रहे जिम्मेदारी काबिल लोगो को ही दी जाती है | इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए आपको जल्द से जल्द निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना होगा | आइये अब अपने क्रिकेट के उदहारण से इसे समझने की कोशिश करते है |

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जब बैट्समैन क्रीज़ पर बल्लेबाजी करने आता है तो उसके सामने सबसे बड़ी और अहम् चुनौती होती है सामने से आने वाली बॉल , उसे ये निर्धारित करना होता है कि उस बॉल को उसके स्थान तक पहुँचाया जाये , मतलब कि बॉल को बाउंड्री के पार पहुँचाया जाये | इसी तरह UPSC की परीक्षा में बैठने वाला विद्यार्थी , क्रिकेट की क्रीज़ पर खेलने वाले खिलाडी के सामान होता है | जिस प्रकार खिलाडी के सामने चुनौती के रूप में बॉल होती है उसी प्रकार UPSC परीक्षा के प्रश्न पत्र में आने वाला प्रश्न विधार्थी के सामने बॉल रूपी चुनौती होती है | जिस प्रकार एक बैट्समैन हर बॉल को भांप कर यह निर्धारित करता है की कौनसे बॉल पर कवर ड्राइव शॉट लगाना है , किस बॉल पर स्वाइप शॉट लगाना है , किस बॉल पर पुल ड्राइव शॉट लगाना है , किस बॉल पर हुक शॉट लगाना है... और शॉट को निर्धारित करने में वह बहुत ही कम समय लेता है | अगर खिलाडी यह निर्धारित करने में सफल हो जाता है तो वह बॉल को सीमा रेखा पार पहुंचाने में सफल हो जाता है , इसके लिए जरूरी नहीं कि खेलने वाला खिलाडी कितना पुराना है या कितना नया है ... बॉल को सीमा रेखा के पर पहुँचाने के लिए केवल यह निर्धारित करना जरूरी की शॉट किस प्रकार से लगाना है | इसी प्रकार परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थी को यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि किस प्रकार के प्रश्न को किस प्रकार से करना है ... अब आप में से कुछ लोग ये दलील देंगे की UPSC के लिए तो पढ़ना जरूरी है ... हाँ , UPSC के लिए पढना जरूरी है लेकिन आपको ये याद दिला दे कि जिस प्रकार UPSC पास करने के लिए एक विद्यार्थी महीनो और सालों तक मेहनत करता है, उसी प्रकार बॉल को सीमा रेखा पार करवाने वाला खिलाडी एक दिन में नहीं बनता , उसके पीछे दोस्तों कुछ महीनों की ही नहीं बहुत सालों की मेहनत होती है , हर एक प्रकार के शॉट की हजारो-लाखो बार कोशिश करता है तब जाकर वह उस शॉट को लगाने में माहिर होता है | इस तरह से वो उस शॉट में इतना माहिर हो जाता है कि उसके सामने कोई टिक नहीं पाता |

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  इसी प्रकार पढाई में औसत एक विद्यार्थी अपनी मेहनत और निर्णायक क्षमता के विकास से पढाई में धुरंधर रहे विधार्थियों को भी पछाड़ देता है |

इसलिए ये सुनिश्चित करना आवश्यक है कि केवल मेहनत करना ही पर्याप्त नहीं है , मेहनत आगे सही दिशा और सही रणनीति के साथ की जाये तो ही उसका अच्छा परिणाम मिल पायेगा अन्यथा की गयी मेहनत व्यर्थ हो जाएगी |

  अब हम आशा करते है की आपको भली भांति समझ आ गया होगा की UPSC एक परीक्षा ही नहीं बल्कि एक खेल भी है और जिस प्रकार आपको खेल में मेहनत , रणनीति और समझ विकसित करनी होती है उसी प्रकार UPSC परीक्षा में सफलता के लिए भी ये सब गुणों का होना आवश्यक है और आपको UPSC भी एक खेल की तरह समझ आने लगेगा |

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